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बांका बिहार : प्याज़ में स्टार्च नहीं, डायबिटीज वाले मज़े से खाएं

एसकेपी विद्या विहार राजपुर प्लस टू आवासीय विद्यालय बांका में नवम वर्ग के....
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बांका बिहार : प्याज़ में स्टार्च नहीं, डायबिटीज वाले मज़े से खाएं

बांका बिहार: एसकेपी विद्या विहार राजपुर प्लस टू आवासीय विद्यालय बांका में नवम वर्ग के छात्रों को विषय वस्तु से संबंधित प्रायोगिक परीक्षण जीव विज्ञान शिक्षक प्रवीण कुमार प्रणव ने अपने सामने रहकर करवाया। जिसमें छात्रों ने पाया कि प्याज में स्टार्च नहीं होता है। आलू में स्टार्च मिला। यहां तक कि हल्दी में भी स्टार्च मिला । बच्चे जो चिंगम( च्युइंग गम) खाते हैं उसमें भी स्टार्च मिला । लेकिन प्याज में स्टार्च नहीं मिला। चावल,रोटी, सत्तू,बेसन में स्टार्च है। नवम वर्ग के उत्साहित जिज्ञासु छात्रों ने अपने से आयोडीन घोल देकर जीव विज्ञान शिक्षक प्रवीण कुमार प्रणव के नेतृत्व में परीक्षण किया। प्रवीण कुमार प्रणव ने बताया कि जिस भोजन सामग्री में स्टार्च है और स्टार्च को जब हम सभी खाते हैं तो मुंह में ही सैलिवरी ग्रंथि है। जिससे लार निकलता है।उसी लार में सैलिवरी एमाइलेज इंजाईम पाया जाता है।जो कि स्टार्च को धीरे-धीरे रासायनिक प्रतिक्रिया से तोड़कर ग्लूकोज में बदल देता है और वह भोजन मीठा लगने लगता है। इसलिए चबाकर खाने से स्वाद मिलता है। परंतु डायबिटीज रोगी वैसे भोजन नहीं खाते हैं या कम खाते हैं जिसमें स्टार्च या डायरेक्ट ग्लूकोज रहता है। छात्रों ने उत्सुकता वश वैज्ञानिक सोच रखते हुए शिक्षक से कहा कि तब तो आलू के जगह प्याज़ का सब्जी भुजिया बनाकर थोड़ा सा खाकर संतुष्ट हो सकते हैं जिन्हें आलू का भुजिया सब्जी ज्यादा पसंद है और डाक्टर साहब मना कर दिए खाने। जिन्हें डायबिटीज है। प्रवीण कुमार प्रणव ने बताया कि प्रायोगिक परीक्षण अध्ययन से बच्चों में बौद्धिक क्षमता का विकास होता है। वैज्ञानिक बनने की तकनीक सीखते हैं।जो हमारे देश को जरूरत है।सैद्धांतिक के साथ प्रायोगिक परीक्षण अध्ययन अनिवार्य है। मौके पर मौजूद नवम वर्ग ए के छात्रों के साथ प्रयोगशाला सहायक कर्मचारी सूरज भी मौजूद था।


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