
हजारीबाग : झारखंडी मुद्दों पर जुटी यह भीड़ स्पष्ट स्थानीय और नियोजन नीति की माँग कर रही है। साथ ही झारखंड के 81 विधानसभा और 14 लोकसभा सीटों पर स्थानीय झारखंडी को सांसद, विधायक बनाने की वकालत की गयी।
बदलाव संकल्प महासभा का आयोजन झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति के बैनर तले किया गया। यह समिति प्रदेश स्तर पर झारखंडी जनमुद्दों को लेकर सभाएं कर रही है और लगातार जनजागरूकता अभियान चला रही है।

महासभा में झारखंड के चतरा, हज़ारीबाग, गिरिडीह लोकसभा समेत पूर्वी सिंहभूम, पलामू, पश्चिमी सिंहभूम, कोल्हान, संथाल, उत्तरी छोटानागपुर, दक्षिणी छोटानागपुर के कार्यकर्ता और आम लोग पहुँचे। साथ ही इस महासभा में 24 जिलों के सभी विश्वविद्यालयों से हजारों छात्र, नौजवानों ने भाग लिया। सभी ने एक स्वर में कहा कि झारखंड एक और इंकलाब मांग रहा है। है। महासभा की शुरुआत से पहले भगवान बिरसा मुंडा के चित्र पर माल्यार्पण कर नमन किया गया। जिसके बाद वक्ताओं ने अपनी-अपनी बातों को रखा।
इस दौरान मुख्य वक्ता के तौर पर लंबे समय से झारखंडी मुद्दों पर मुखरता से लड़ाई लड़ रहे संजय मेहता ने महासभा को संबोधित किया।
संजय मेहता ने कहा कि झारखंड को एक नए बदलाव की जरूरत है। झारखंड अपने निर्माण के 22 सालों के बाद भी आज शोषण से मुक्त नहीं हुआ है।

संजय मेहता ने कहा कि ज्ञात हो कि पिछली सरकार से पहले नियुक्तियों में 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था। लेकिन, इसमें EWS के तहत सवर्णों का आरक्षण जुड़ जाने के बाद यह 60 प्रतिशत हो गया।
ऐसे में 60 प्रतिशत सीटों पर नियुक्तियां झारखंड के आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की होंगी। वहीं 40 प्रतिशत सीटें 'ओपन टू ऑल' है। अर्थात कोई भी आवेदन कर सकता है।
इसका मतलब यह हुआ कि केवल 60 प्रतिशत आरक्षित सीटें ही ऐसी हैं, जिन पर झारखंड के ही अभ्यर्थियों की नियुक्ति होनी है। बाकी के 40 प्रतिशत सीटों पर किसी भी राज्य के युवा झारखंड में रोजगार पा सकते हैं। ऐसे में झारखंड के छात्रों की प्रतिस्पर्धा भी बढ़ जाएगी।
परंतु यहाँ एक पेंच यह भी है कि झारखंड में झारखंडी होने की परिभाषा ही तय नहीं है। ऐसे में कहने को यह नीति 60 और 40 की नीति है। ऐसे में खतरा सौ प्रतिशत सीटों पर है। गहनता से अध्ययन करने पर स्थिति और भयावह नजर आती है। झारखंड का हाल जिस तरीके से है, जिस रूप में झारखंडी लोगों के साथ छल होता आया है। कई दूसरे राज्य के निवासियों ने भी स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र बना लिया है।

ऐसे में सौ प्रतिशत सीटों पर इस तरह बाहरी लोग कब्जा करने की कोशिश करेंगे। जिससे झारखंड के लोगों का हक मारा जाता रहेगा।
➨क्या है मांग
संजय मेहता ने कहा कि झारखंड में भी बिहार की तरह नियोजन नीति लागू हो।बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 की उपधारा 85 के तहत झारखंड सरकार के पास भी यह हक है कि संयुक्त बिहार के समय का कोई भी अधिनियम, संकल्प या गजट को अंगीकृत कर सकते हैं।
इसी के तहत 1982 की नियोजन नीति को अंगीकृत कर बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी नियोजन की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए।
साथ ही नियुक्ति फॉर्म भरते समय अभ्यर्थी को अपने स्थानीय प्रमाण पत्र की क्रमांक संख्या लिखनी जरूरी की जाए। इसके तहत सारी सच्चाई निकलकर सामने आ जाएगी कि अभ्यर्थी कहां का खतियानी है।
साथ ही, मांग यह भी है कि जनसंख्या के अनुपात में सभी वर्गों के लिए जिला स्तर पर आरक्षण लागू किया जाना चाहिए।
➨विस्थापन को लेकर भी बोले
विस्थापन के बाद पुनर्वास की स्पष्ट नीति नहीं और कंपनियों के द्वारा जमीनों की लूट को लेकर संजय मेहता ने कहा कि इस मुद्दे पर भी सरकार को गंभीर होना होगा। यह झारखंड का एक गंभीर विषय है।➨ओबीसी को मिले 27 प्रतिशत का आरक्षण
ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण विधेयक को राज्यपाल द्वारा वापस किए जाने पर संजय मेहता ने कहा कि राज्यपाल महोदय को भी झारखंडी जनभावनाओं पर चिंतन करना चाहिए और यहाँ की बुनियादी माँगों पर कानून बनाने में सहयोग करना चाहिए। सभा में मध्यप्रदेश के आदिवासी युवक पर पेशाब करने की घटना पर निंदा व्यक्त की गयी। कहा गया कि ऐसा अपराध क्षम्य नहीं है।➨क्या - क्या रहे मुख्य मुद्दे
छात्रों की छात्रवृति में हो रही देरी, सीओ के द्वारा म्यूटेशन में पैसे लेने की शिकायत, गोंदलपूरा आंदोलन को समर्थन, बाँझेडीह मजदूर आंदोलन को समर्थन, बरही टोल प्लाजा मजदूर आंदोलन को समर्थन, मांडु बूढाखाप आंदोलन को समर्थन, बरही जियाडा भूमि पर कंपनियों द्वारा फैल रहे प्रदूषण के खिलाफ आवाज, गोला में ट्रांसपोर्टिंग के कारण फैल रहे प्रदूषण के खिलाफ आवाज, विभावि में छात्रों की परेशानी, छात्रों पर लाठीचार्ज की निंदा, बरही-चंदवारा एनएच 31 में पेड़ो की कटाई पर रोपण नहीं, चोरदाहा से गोरहर तक सड़क निर्माण में हो रही देरी, चौपारण फ्लाईओवर निर्माण में तेजी, सरना धर्म कोड़ पर केंद्र की चुप्पी, एनटीपीसी से नेताओं की सांठगांठ, टोल प्लाजा मदनगुंडी के चालू होने पर फ्री करवाना आदि मुद्दों को चर्चा में लाया गया।➨हज़ारीबाग को चाहिए परिवारवाद से मुक्ति
संजय मेहता ने कहा कि हज़ारीबाग संसदीय क्षेत्र को परिवारवाद की राजनीति से मुक्त करना होगा साथ ही यहाँ माटी का सांसद बनाना होगा। यहाँ के एक बड़े राजनीतिक परिवार ने सिर्फ हज़ारीबाग के साथ छल धोखा किया है। इन अवसरवादी लोगों ने माटी के साथ छल किया है।इस दौरान जयराम महतो ने भी सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि झारखंड को बचाने की लड़ाई सबको मिलकर लड़नी होगी।
झारखंड आज एक ऐसे रास्ते पर खड़ा है जहां से एक नए शुरुआत की जरूरत है। हमारी माटी के साथ छल इतना अधिक कर दिया गया है कि अब पूरा झारखंड जाग चुका है। यह आंदोलन अब नहीं रुकेगा। उन्होंने कहा कि झारखंड में एक बड़े बदलाव को लेकर हम सभी संकल्पित हैं। झारखंड के युवा जाग चुके हैं। अब यहाँ परिवर्तन होकर रहेगा।
सभा में प्रियंका कुमारी, विकास वर्मा, महेंद्र प्रसाद, उदय मेहता, संजय महतो, मोतीलाल महतो, राजदेश रतन, छात्र नेता देवेंद्र महतो, मनोज यादव, रोहित दास, रवींद्र पासवान, नागेश्वर प्रसाद, जयनारायण प्रसाद, आजाद शेखर, प्रोफेसर गोकुल नारायण दास, प्रोफेसर सीपी दांगी, राजेंद्र प्रसाद, भुनेश्वर यादव, कृष्णा यादव, सूरज कुमार, विजय सिंह भोक्ता, दिनेश साहू सम्मिलित हुए और संबोधित किया।
सभा को सफल बनाने में दिनेश महतो, छोटन कोल, पवन यादव, राजकिशोर महतो, करण बप्पी, मनोज कुमार, अजीत यादव, रमेश, मिथिलेश दांगी, राकेश मेहता, मनोज सोरेन, सुखदेव सोरेन, प्रेम नायक, सूरज टाईलोन, नीतू कुमारी समेत सैकड़ों लोगों का सराहनीय योगदान रहा।