
चौपारण : चौपारण जीटी रोड चतरा मोड़ पर संचालित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कई डॉक्टर पदस्थापित हैं, लेकिन वे समय पर मरीजों के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं. अधिकांश डॉक्टर ड्यूटी के समय भी अपने निजी क्लिनिक में बैठते हैं. उक्त आरोप स्थानीय मुखिया प्रतिनिधि सह पूर्व मुखिया विनोद सिंह ने लगाया है. उन्होंने कहा है कि जिन डॉक्टरों को भगवान का दर्जा दिया जाता है, वही डॉक्टर मरीजों के लिए परेशानी का सबब बन गये हैं. चौपारण का 40 बेड वाला सरकारी अस्पताल सिर्फ एक डॉक्टर के भरोसे चल रहा है. वहीं अधिकांश डॉक्टर समय पर अस्पताल में उपलब्ध नहीं रहते हैं. जिससे मरीजों को भटकना पड़ रहा है। ऐसे में मरीज निजी क्लीनिकों में जाने को मजबूर हैं. निर्धारित समय होने के बावजूद ओपीडी में तीन से चार घंटे बाद भी डॉक्टर नहीं पहुंचते हैं. यह पहली बार नहीं है। वर्षों से इस अस्पताल में यह परंपरा निभाई जा रही है. कई बार शिकायत के बावजूद इन डॉक्टरों पर न तो कोई नियंत्रण है और न ही अपनी ड्यूटी के प्रति ईमानदारी। आए दिन चर्चा होती रहती है कि इन डॉक्टरों को अस्पताल में कम और अपने निजी क्लिनिक में ज्यादा रुचि है. लोगों का कहना है कि ये डॉक्टर अपने उच्च अधिकारियों की मिलीभगत से बेखौफ होकर निजी क्लिनिक चलाते हैं. लोगों की बात में सच्चाई तब नजर आती है जब अधिकारी उक्त बातें टाल-मटोल कर मामले को घुमाने की कोशिश करते हैं. जिले के सबसे बड़े प्रखंड चौपारण का सरकारी अस्पताल जहां इन दिनों इलाज कराना बेहद मुश्किल हो गया है. सबसे पहले मरीज को पर्ची बनवाने के लिए अस्पताल में लंबी लाइन में खड़ा होना पड़ता है। एक बार पर्ची बन जाने के बाद भी डॉक्टर को दिखाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। क्योंकि डॉक्टर अस्पताल में मौजूद नहीं हैं वह निजी क्लीनिक मे मरीज देख रहे है। सामुदायिक अस्पताल के आसपास डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों के सहयोग से दर्जनों क्लिनिक बेखौफ चल रहे हैं. कई क्लीनिकों में अल्ट्रासाउंड व जांच घर भी अवैध रूप से चल रहे हैं.
इसी क्रम में चौपारण के पूर्व मुखिया विनोद सिंह इस मामले की जानकारी के लिए अस्पताल पहुंचे और रोस्टर में किस डॉक्टर की ड्यूटी है, इसकी जानकारी ली, तो उन्हें पता चला कि सतीश कुमार सिंह हैं, तो उन्होंने डॉ. सतीश सिंह को जानकारी लेने के लिए फोन किया तो उन्होंने फोन उठाना भी उचित नहीं समझा।