|
हज़ारीबाग : झारखंड में एक बहुत बड़े बदलाव की जरूरत है। इसके लिए हम सबों को तैयार रहना होगा। झारखंड के लिए यह आंदोलन बदलाव का एक दौर है। सभी झारखंडी को उठ खड़ा होना होगा। यह एक बड़े परिवर्तन का दौर है। यह आंदोलन एक उम्मीद का आंदोलन है।
झारखंड के जनमुद्दों को लेकर झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति (जेबीकेएसएस) पूरे राज्य में सभाएं कर रही है और लगातार झारखंड वासियों के हक़ और अधिकारों को लेकर जनजागरूकता अभियान चला रही है।

शुक्रवार को हज़ारीबाग के चरही स्थित बिरसा फुटबॉल मैदान में भी बदलाव संकल्प महासभा का आयोजन किया गया। जिसमें हज़ारों की संख्या में लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा।
झारखंडी मुद्दों पर जुटी यह भीड़ स्पष्ट स्थानीय और नियोजन नीति की माँग कर रही है। साथ ही झारखंड के 81 विधानसभा और 14 लोकसभा सीटों पर स्थानीय झारखंडी को सांसद, विधायक बनाने को लेकर ललायित है।
महासभा में झारखंड के हज़ारीबाग, चतरा, कोडरमा और गिरिडीह लोकसभा के कार्यकर्ता और आम लोग पहुँचे। साथ ही सभी विश्वविद्यालयों से हजारों छात्र, नौजवानों ने भाग लिया। सभी ने एक स्वर में कहा कि झारखंड एक और इंकलाब मांग रहा है। महासभा की शुरुआत से पहले झारखंड के वीर क्रांतिकारियों को याद कर नमन किया गया। जिसके बाद वक्ताओं ने अपनी-अपनी बातों को रखा।
झारखंडी की पहचान, झारखंडियों का हक : संजय मेहता
इस दौरान लंबे समय से झारखंडी मुद्दों पर मुखरता से अपनी आवाज बुलंद कर रहे बरही विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी सह सोशल एक्टिविस्ट संजय मेहता ने महासभा में उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया। संजय मेहता ने कहा कि झारखंड को एक नए बदलाव की जरूरत है। झारखंड अपने निर्माण के 22 सालों के बाद भी आज शोषण से मुक्त नहीं हुआ है। राज्य की नौकरशाही ने इस राज्य को सिर्फ लूटा है। साथ ही यहाँ के नेताओं ने भी सिर्फ अपनी तिजोरी को भरा है।संजय मेहता ने कहा कि झारखंड की स्थानीय नीति, नियोजन नीति, पुनर्वास नीति में कोई स्पष्टता नहीं है। झारखंडी की पहचान आज तक परिभाषित नहीं हो पायी है। स्थानीय नीति को झारखंडी भावनाओं के अनुरूप परिभाषित करने की जरूरत है।
स्थानीय नीति को स्पष्ट करने पर रखी राय
संजय मेहता ने स्थानीय नीति पर कहा कि 1932 के पहले और 1964 के बाद जिला का अंतिम सर्वे का खतियान ही झारखंड की स्थानीयता का आधार होना चाहिए।जब तक खतियान को स्थानीयता का आधार नहीं बनाया जाएगा बाहरी अतिक्रमण से झारखंड को बचाना मुश्किल है। हमारी नौकरी और जमीन को लगातार संस्थागत तौर पर लूटा जा रहा है।
नियोजन नीति क्यों है जरूरी
संजय मेहता ने कहा कि ज्ञात हो कि पिछली सरकार से पहले नियुक्तियों में 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था। लेकिन, इसमें EWS के तहत सवर्णों का आरक्षण जुड़ जाने के बाद यह 60 प्रतिशत हो गया।ऐसे में 60 प्रतिशत सीटों पर नियुक्तियां झारखंड के आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की होंगी। वहीं 40 प्रतिशत सीटें 'ओपन टू ऑल' है। अर्थात कोई भी आवेदन कर सकता है।
इसका मतलब यह हुआ कि केवल 60 प्रतिशत आरक्षित सीटें ही ऐसी हैं, जिन पर झारखंड के ही अभ्यर्थियों की नियुक्ति होनी है। बाकी के 40 प्रतिशत सीटों पर किसी भी राज्य के युवा झारखंड में रोजगार पा सकते हैं। ऐसे में झारखंड के छात्रों की प्रतिस्पर्धा भी बढ़ जाएगी।

परंतु यहाँ एक पेंच यह भी है कि झारखंड में झारखंडी होने की परिभाषा ही तय नहीं है। ऐसे में कहने को यह नीति 60 और 40 की नीति है। ऐसे में खतरा सौ प्रतिशत सीटों पर है।
गहनता से अध्ययन करने पर स्थिति और भयावह नजर आती है। झारखंड का हाल जिस तरीके से है, जिस रूप में झारखंडी लोगों के साथ छल होता आया है। कई दूसरे राज्य के निवासियों ने भी स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र बना लिया है।
ऐसे में सौ प्रतिशत सीटों पर इस तरह बाहरी लोग कब्जा करने की कोशिश करेंगे। जिससे झारखंड के लोगों का हक मारा जाता रहेगा।
नियोजन नीति से नियुक्तियों में झारखंडियों को मिलेगा स्थान
संजय मेहता ने कहा कि झारखंड में भी बिहार की तरह नियोजन नीति लागू हो। बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 की उपधारा 85 के तहत झारखंड सरकार के पास भी यह हक है कि संयुक्त बिहार के समय का कोई भी अधिनियम, संकल्प या गजट को अंगीकृत कर सकते हैं।
इसी के तहत 1982 की नियोजन नीति को अंगीकृत कर बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी नियोजन की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए।
साथ ही नियुक्ति फॉर्म भरते समय अभ्यर्थी को अपने स्थानीय प्रमाण पत्र की क्रमांक संख्या लिखनी जरूरी की जाए। इसके तहत सारी सच्चाई निकलकर सामने आ जाएगी कि अभ्यर्थी कहां का खतियानी है।

साथ ही, मांग यह भी है कि जनसंख्या के अनुपात में सभी वर्गों के लिए जिला स्तर पर आरक्षण लागू किया जाना चाहिए।
पुनर्वास नीति बेहद जरूरी
विस्थापन के बाद पुनर्वास की स्पष्ट नीति नहीं और कंपनियों के द्वारा जमीनों की लूट को लेकर संजय मेहता ने कहा कि इस मुद्दे पर भी सरकार को गंभीर होना होगा। यह झारखंड का एक गंभीर विषय है।ओबीसी को आबादी के अनुरूप आरक्षण मिले
ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण विधेयक को राज्यपाल द्वारा वापस किए जाने पर संजय मेहता ने कहा कि राज्यपाल महोदय को भी झारखंडी जनभावनाओं पर चिंतन करना चाहिए और यहाँ की बुनियादी माँगों पर कानून बनाने में सहयोग करना चाहिए।
किन मुख्य मुद्दों को लेकर हुई चर्चा
भारतमाला परियोजना में मुआवजा की समस्या, रसीद कटने में समस्या, चितपूर्णी माइंस के लिए जमीन अधिग्रहण में अनियमितता, रेलवे साइडिंग में स्थानीय को लाभ नहीं, छात्रों की छात्रवृति में हो रही देरी, सीओ के द्वारा म्यूटेशन में पैसे लेने की शिकायत, गोंदलपूरा आंदोलन को समर्थन, बाँझेडीह मजदूर आंदोलन को समर्थन, बरही टोल प्लाजा मजदूर आंदोलन को समर्थन, मांडु बूढाखाप आंदोलन को समर्थन, बरही रियाडा भूमि पर कंपनियों द्वारा फैल रहे प्रदूषण के खिलाफ आवाज, गोला में ट्रांसपोर्टिंग के कारण फैल रहे प्रदूषण के खिलाफ आवाज, विभावि में छात्रों की परेशानी, छात्रों पर लाठीचार्ज की निंदा, बरही-चंदवारा एनएच 31 में पेड़ो की कटाई पर रोपण नहीं, चोरदाहा से गोरहर तक सड़क निर्माण में हो रही देरी, चौपारण फ्लाईओवर निर्माण में तेजी, सरना धर्म कोड़ पर केंद्र की चुप्पी, एनटीपीसी से नेताओं की सांठगांठ, टोल प्लाजा मदनगुंडी के चालू होने पर फ्री करवाना आदि मुद्दों को चर्चा में लाया गया।
परिवारवाद की राजनीति ने हज़ारीबाग के साथ छल किया
संजय मेहता ने कहा कि हज़ारीबाग संसदीय क्षेत्र को परिवारवाद की राजनीति से मुक्त करना होगा साथ ही यहाँ माटी का सांसद बनाना होगा। यहाँ के एक बड़े राजनीतिक परिवार ने सिर्फ हज़ारीबाग के साथ छल धोखा किया है। इन अवसरवादी लोगों ने माटी के साथ छल किया है।सभा में झारखंडी माटी के योद्धा जयराम महतो ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि झारखंड को बचाने की लड़ाई सबको मिलकर लड़नी होगी। झारखंड आज एक ऐसे रास्ते पर खड़ा है जहां से एक नए शुरुआत की जरूरत है। हमारी माटी के साथ छल इतना अधिक कर दिया गया है कि अब पूरा झारखंड जाग चुका है। यह आंदोलन अब नहीं रुकेगा। उन्होंने कहा कि झारखंड में एक बड़े बदलाव को लेकर हम सभी संकल्पित हैं। झारखंड के युवा जाग चुके हैं। अब यहाँ परिवर्तन होकर रहेगा।

सभा में मोतीलाल महतो, चरही के संजय महतो, भुनेश्वर यादव, दिनेशवर महतो, उदय मेहता, सूरज कुमार, मिथिलेश दांगी, राकेश मेहता, शाहबाज अंसारी, हसीब अंसारी, रैपर सूरज टाइलोन, आसिफ अंसारी, टिकेश्वर महतो, कुलदीप महतो, भुनेश्वर महतो, महेंद्र प्रसाद, गोविंद महतो, सुधीर कुमार अकेला सम्मिलित हुए और संबोधित किया। सभा को सफल बनाने में समिति के पदाधिकारियों, सदस्यों, कार्यकर्तागण समेत सैकड़ों लोगों का सराहनीय योगदान रहा।
