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रामगढ़ : झारखंड एक मुश्किल दौर में है। दो दशकों के बाद भी झारखंड में झारखंडियों के लिए नीतियाँ नहीं बन पायी है। आज तक स्थानीय नीति खतियान आधारित नहीं बन पायी है। नियोजन नीति भी अब तक नहीं बन पायी है।
60 : 40 नियोजन नीति झारखंडी जनमानस को स्वीकार्य नहीं है। पुनर्वास की भी नीति नहीं बन पायी है। जमीनों की लूट चरम पर है। ऐसे में सभी झारखंड वासियों को एकजुट होकर यह लड़ाई लड़नी होगी। उक्त बातें संजय मेहता ने मांडू के करमा में आयोजित बदलाव संकल्प सभा में कही।
उन्होंने कहा कि झारखंड में एक बहुत बड़े बदलाव की जरूरत है। इसके लिए हम सबों को तैयार रहना होगा। झारखंड के लिए यह आंदोलन बदलाव का एक दौर है। सभी झारखंडी को उठ खड़ा होना होगा। यह एक बड़े परिवर्तन का दौर है। यह आंदोलन एक उम्मीद का आंदोलन है। पूरे झारखंड में जनजागृति पैदा हो चुकी है।
झारखंड के जनमुद्दों को लेकर झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति (जेबीकेएसएस) पूरे राज्य में सभाएं कर रही है और लगातार झारखंड वासियों के हक़ और अधिकारों को लेकर जनजागरूकता अभियान चला रही है। संजय मेहता ने आह्वान किया कि इस आंदोलन को तब तक जारी रखना है जब तक झारखंडियों को पूर्ण हक नहीं मिल जाता।
बदलाव संकल्प महासभा का आयोजन मांडू के करमा क्षेत्र में किया गया। यह इलाका आंदोलन का केंद्र रहा है। आलोक स्टील के खिलाफ यहाँ के ग्रामीणों ने लगातार आंदोलन किया है। इस महासभा में हज़ारों की संख्या में लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा।
संजय मेहता ने कहा कि झारखंडी मुद्दों पर जुटी यह भीड़ स्पष्ट स्थानीय और नियोजन नीति की माँग कर रही है। साथ ही झारखंड के 81 विधानसभा और 14 लोकसभा सीटों पर स्थानीय झारखंडी को सांसद, विधायक बनाने को लेकर ललायित है। क्योंकि आम झारखंडी जनमानस सत्ता के छल से तंग आ चुका है।
बदलाव संकल्प सभा में रामगढ़ जिले और मांडू विधानसभा के आम लोग पहुँचे। लोग कड़ी धूप में घन्टो वक्ताओं को सुनते रहे। महासभा की शुरुआत से पहले झारखंड के वीर क्रांतिकारियों को याद कर नमन किया गया। जिसके बाद वक्ताओं ने अपनी-अपनी बातों को रखा।
झारखंडी कौन है खतियान के आधार पर तय हो : संजय मेहता
लंबे समय से झारखंडी मुद्दों पर मुखरता से अपनी आवाज बुलंद कर रहे संजय मेहता ने महासभा में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए जोश भर दिया। संजय मेहता ने कहा कि झारखंड को एक नए बदलाव की जरूरत है। यह परिवर्तन की बेला है। झारखंड अपने निर्माण के 22 सालों के बाद भी आज शोषण से मुक्त नहीं हुआ है। राज्य की नौकरशाही ने इस राज्य को सिर्फ लूटा है। साथ ही यहाँ के नेताओं ने भी सिर्फ अपनी तिजोरी को भरा है। नौकरशाह भी झारखंड को लूट रहे हैं।
संजय मेहता ने कहा कि झारखंड की स्थानीय नीति, नियोजन नीति, पुनर्वास नीति में कोई स्पष्टता नहीं है। झारखंडी की पहचान आज तक परिभाषित नहीं हो पायी है। स्थानीय नीति को झारखंडी भावनाओं के अनुरूप परिभाषित करने की जरूरत है। यह नहीं होगा तो झारखंड के लोगों को नियोजन में भी परेशानी होगी।
स्थानीय नीति को लेकर मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत
संजय मेहता ने स्थानीय नीति पर कहा कि 1932 के पहले और 1964 के बाद जिला का अंतिम सर्वे का खतियान ही झारखंड की स्थानीयता का आधार होना चाहिए। इस पहलू से पूरा राज्य कवर हो जाएगा।जब तक खतियान को स्थानीयता का आधार नहीं बनाया जाएगा बाहरी अतिक्रमण से झारखंड को बचाना मुश्किल है। हमारी नौकरी और जमीन को लगातार संस्थागत तौर पर लूटा जा रहा है। जिसमें अफसर भी साथ मिले हैं।
नियोजन नीति झारखंडियों के खिलाफ
संजय मेहता ने कहा कि ज्ञात हो कि पिछली सरकार से पहले नियुक्तियों में 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था। लेकिन, इसमें इडब्लूएस के तहत सवर्णों का आरक्षण जुड़ जाने के बाद यह 60 प्रतिशत हो गया।ऐसे में 60 प्रतिशत सीटों पर नियुक्तियां झारखंड के आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की होंगी। वहीं 40 प्रतिशत सीटें 'ओपन टू ऑल' है। अर्थात कोई भी आवेदन कर सकता है।
इसका मतलब यह हुआ कि केवल 60 प्रतिशत आरक्षित सीटें ही ऐसी हैं, जिन पर झारखंड के ही अभ्यर्थियों की नियुक्ति होनी है। बाकी के 40 प्रतिशत सीटों पर किसी भी राज्य के युवा झारखंड में रोजगार पा सकते हैं। ऐसे में झारखंड के छात्रों की प्रतिस्पर्धा भी बढ़ जाएगी।
परंतु यहाँ एक पेंच यह भी है कि झारखंड में झारखंडी होने की परिभाषा ही तय नहीं है। ऐसे में कहने को यह नीति 60 और 40 की नीति है। ऐसे में खतरा सौ प्रतिशत सीटों पर है। झारखंड के लोग बुनियादी तौर पर अच्छी शिक्षा से वंचित हो जाते हैं। ऐसे में प्रतिस्पर्धा को बढ़ा देना अवसर को मारने जैसा है।
गहनता से अध्ययन करने पर स्थिति और भयावह नजर आती है। झारखंड का हाल जिस तरीके से है, जिस रूप में झारखंडी लोगों के साथ छल होता आया है। कई दूसरे राज्य के निवासियों ने भी स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र बना लिया है।
ऐसे में सौ प्रतिशत सीटों पर इस तरह बाहरी लोग कब्जा करने की कोशिश करेंगे। जिससे झारखंड के लोगों का हक मारा जाता रहेगा।
बिना जेटेट शिक्षक नियुक्ति जायज नहीं
संजय मेहता ने कहा सरकार ने 26 हज़ार शिक्षक नियुक्ति का विज्ञापन निकाला और अहर्ता की शर्त जेटेट को रखा। लेकिन जब सरकार ने जेटेट की परीक्षा ली ही नहीं। झारखंड बनने के बाद सिर्फ दो बार जेटेट की परीक्षा हुई। ऐसे में अन्य अभ्यर्थी इस प्रतियोगिता में कैसे शामिल होंगे। लगभग 5 लाख बीएड, डीएलएड के अभ्यर्थी फॉर्म भरने से वंचित रह जाएंगे।नियोजन नीति पीढ़ियों को संरक्षित करेगा
आज अगर रोजगार और शिक्षा में हम पिछड़ गए तो पीढ़ियाँ पिछड़ जाएगी। संजय मेहता ने कहा कि झारखंड में भी बिहार की तरह नियोजन नीति लागू हो। बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 की उपधारा 85 के तहत झारखंड सरकार के पास भी यह हक है कि संयुक्त बिहार के समय का कोई भी अधिनियम, संकल्प या गजट को अंगीकृत कर सकते हैं।इसी के तहत 1982 की नियोजन नीति को अंगीकृत कर बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी नियोजन की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए।
साथ ही नियुक्ति फॉर्म भरते समय अभ्यर्थी को अपने स्थानीय प्रमाण पत्र की क्रमांक संख्या लिखनी जरूरी की जाए। इसके तहत सारी सच्चाई निकलकर सामने आ जाएगी कि अभ्यर्थी कहां का खतियानी है।
साथ ही, मांग यह भी है कि जनसंख्या के अनुपात में सभी वर्गों के लिए जिला स्तर पर आरक्षण लागू किया जाना चाहिए।
पुनर्वास नीति से सामाजिक संरचना बचेगी
विस्थापन के बाद पुनर्वास की स्पष्ट नीति नहीं और कंपनियों के द्वारा जमीनों की लूट को लेकर संजय मेहता ने कहा कि इस मुद्दे पर भी सरकार को गंभीर होना होगा। यह झारखंड का एक गंभीर विषय है। एक स्पष्ट नीति बनानी होगी।ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण हक
ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण विधेयक को राज्यपाल द्वारा वापस किए जाने पर संजय मेहता ने कहा कि राज्यपाल महोदय को भी झारखंडी जनभावनाओं पर चिंतन करना चाहिए और यहाँ की बुनियादी माँगों पर कानून बनाने में सहयोग करना चाहिए। यह आरक्षण एक बड़े वर्ग की माँग हैं।
परिवारवाद की राजनीति ने हज़ारीबाग के साथ छल किया
संजय मेहता ने कहा कि हज़ारीबाग संसदीय क्षेत्र को परिवारवाद की राजनीति से मुक्त करना होगा साथ ही यहाँ माटी का सांसद बनाना होगा। यहाँ के एक बड़े राजनीतिक परिवार ने सिर्फ हज़ारीबाग के साथ छल धोखा किया है। इन अवसरवादी लोगों ने माटी के साथ छल किया है।सभा में वक्ताओं ने एक स्वर में कहा झारखंड को बचाने की लड़ाई सबको मिलकर लड़नी होगी। झारखंड आज एक ऐसे रास्ते पर खड़ा है जहां से एक नए शुरुआत की जरूरत है। हमारी माटी के साथ छल इतना अधिक कर दिया गया है कि अब पूरा झारखंड जाग चुका है। यह आंदोलन अब नहीं रुकेगा। उन्होंने कहा कि झारखंड में एक बड़े बदलाव को लेकर हम सभी संकल्पित हैं। झारखंड के युवा जाग चुके हैं। अब यहाँ परिवर्तन होकर रहेगा।
सभा में मोतीलाल महतो, देवेंद्र महतो, योगेश भारती सम्मिलित हुए और संबोधित किया। सभा को सफल बनाने में समिति के पदाधिकारियों, सदस्यों, कार्यकर्तागण समेत सैकड़ों लोगों का सराहनीय योगदान रहा। लगभग 50 हज़ार की संख्या में लोग जुटे।


