दिन के 24 घंटों में से कम से कम 24 मिनट ईश्वर को समर्पित करें - डॉ.परशुराम तिवारी "भार्गव"
देवघर : प्रोफेसर कॉलोनी बिलासी देवघर में चल रहे भागवत महापुराण के द्वितीय दिवस की कथा मैं काशी से पधारे हुए आचार्य डॉक्टर परशुराम तिवारी ने भक्ति की परिभाषा देते हुए बताया भगवान ने हमें 24 घंटा सिर्फ काम करने के लिए नहीं दिया यह मानुष जीवन भगवत सुमिरन के लिए मिला है, कम से कम 24 मिनट प्रत्येक दिन प्रत्येक मानव को अपने-अपने ईश्वर को भजने में लगाना चाहिए।संतों का ब्राह्मणों का सज्जनों का, अपमान भूल कर भी नहीं करना चाहिए, राजा परीक्षित ने अनजाने में शमीक ऋषि के गले में मृत सर्प डाल दिया जिसके परिणाम स्वरूप उनके पुत्र श्रृंगी ऋषि ने सातवें दिन मरने का शाप दे दिया।देखा जाए तो प्रत्येक मानव सप्ताह के इन्हीं सातों दिनों में से किसी न किसी दिन अपने शरीर को छोड़ता है इसलिए प्रत्येक मानव को इस भू धरा से शरीर छोड़ने से पूर्व भक्ति, भजन बड़ों का सम्मान कर लेना चाहिए।
मानव जीवन बड़े भाग्य से नसीब होता है
"बड़े भाग्य मानुष तन पावा"
इसलिए इसे व्यर्थ में नहीं गंवाना चाहिए। यह कथा प्रत्येक दिवस सायम 5:00 बजे से 9 बजे तक होती है। जानकारी के अनुसार कथा का संपूर्ण दक्षिणा और दान नारायण सेवा आश्रम को दिया जाएगा।विदित हो कि कुछ दिन पहले ही इस आश्रम में रहने वाले बच्चे आश्रम के संचालक के साथ केबीसी में शामिल होने के बाद जिला प्रशासन ने भी सहयोग किया था तभी से लगातार आश्रम को सहयोग करने के लिए विभिन्न समुदाय के लोग संस्था सामने आ रही है कथा स्थल पर वैदिक विद्वान जिसमें प्रमुख रूप से अचार्य राजकुमार तिवारी आचार्य सर्वेश एवं आचार्य प्रियांशु तथा मुख्य यजमान कैलाश चंद्र झां उपस्थित रहे।