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सनरेज हाई स्कूल के विद्यार्थियों ने मनाया डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की 136वीं जयंती, विधायक ने किया बच्चों को प्रोत्साहित

शिक्षक दिवस को लेकर जहां देश के प्रत्येक शिक्षण संस्थानों में बड़ी ही धूमधाम व उत्साह के साथ डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जयंती...
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सनरेज हाई स्कूल के विद्यार्थियों ने मनाया डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की 136वीं जयंती, विधायक ने किया बच्चों को प्रोत्साहित
सनरेज हाई स्कूल के विद्यार्थियों ने मनाया डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की 136वीं जयंती, विधायक ने किया बच्चों को प्रोत्साहित

देवघर (पालोजोरी) : शिक्षक दिवस को लेकर जहां देश के प्रत्येक शिक्षण संस्थानों में बड़ी ही धूमधाम व उत्साह के साथ डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जयंती शिक्षक दिवस के रूप मनाने का कार्य किया गया। वही पालोजोरी के सनरेज हाई स्कूल में प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी बड़ी ही उत्साह व उमंग के साथ सनरेज हाई स्कूल की ओर से बच्चों द्वारा शिक्षक दिवस के रूप में देश के प्रथम उपराष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के 136वीं जयंती यानी शिक्षक दिवस के रूप मनाने का कार्य किया गया। जिसको लेकर प्रखंड के विभिन्न विद्यालयों में भी बच्चों ने शिक्षक दिवस के मौके पर डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद कर नमन किये। वहीं मौके पर सारठ विधानसभा क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक रणधीर कुमार सिंह सनरेज हाई स्कूल पहुंचे वहीं विद्यालय के निदेशक ओमप्रकाश सिंह द्वारा माननीय विधायक रणधीर कुमार सिंह को पुष्प गुच्छ भेंट कर सम्मानित किये। साथ ही वहीं विधायक रणधीर कुमार सिंह द्वारा सर्वप्रथम डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के फोटो चित्र पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। साथ ही उन्होंने मंच साझा करते हुए उन्होंने कहा की डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन तमिलनाडु के तिरुवल्लूर जिले के रहने वाले थे। जहां उनका जन्म स्थान एक पवित्र तीर्थस्थल के रूप में विख्यात रहा है।वही राधाकृष्णन के पुरखे पहले कभी 'सर्वेपल्ली' नामक ग्राम में रहते थे और 18वीं शताब्दी के मध्य में उन्होंने तिरूतनी ग्राम की ओर निष्क्रमण किया था।जबकी डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक निर्धन परिवार से थे। किन्तु विद्वान ब्राह्मण के सन्तान थे। जो की उनके पिता का नाम 'सर्वपल्ली वीरासमियाह'और माता का नाम 'सीताम्मा' था। वही उनके पिता राजस्व विभाग में काम करते थे।जबकी उन पर बहुत बड़े परिवार के भरण-पोषण का दायित्व था। वही उन्होने कहा की डॉ॰ राधाकृष्णन ने अपने जीवन को भली भाँति जान लिया था कि जीवन बहुत ही छोटा है परन्तु इसमें व्याप्त खुशियाँ अनिश्चित हैं। इस कारण व्यक्ति को सुख-दुख में समभाव से रहना चाहिये। वस्तुतः मृत्यु एक अटल सच्चाई है, जो अमीर ग़रीब सभी को अपना ग्रास बनाती है तथा किसी प्रकार का वर्ग भेद नहीं करती। सच्चा ज्ञान वही है जो आपके अन्दर के अज्ञान को समाप्त कर सकता है। साथ ही वहीं बच्चों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति का लुत्फ उठाये। साथ ही। गुजराती आदिवासी लोक नृत्य द्वारा रिया और मनीषा ग्रुप ने दाँतो तले अंगुलियां चबाने को विवश कर दिया। वही चीटियाँ कलाइयाँ राधा कैसे ना जले. मैं नाचूं बिन पायल. मन मेरी. और लीड की झांकी क्रमश मुस्कान. सुशीला ख़ुशी. एरम प्रिया, प्रेमलता, नेहा, आराध्या भगत ग्रुप द्वारा एक से बढ़कर एक नृत्य व स्पीच जैसे कार्यक्रम की प्रस्तुति कर लोगों का मन मोह लिया।

वही इस मौके पर प्राचार्य प्रवीण कुमार सिंह, पूनम गुप्ता, पूनम हाँसदा नवनीत गिरि, कृष बेसरा, अभय कुमार, अशोक कुमार, प्रियंका कर, प्रीति साह ,खुशबु शबनम, जितेश कुमार ,आशीष दास ,लखन दत्ता, तपन दत्ता, शिवकान्त, विकास, सहित सभी शिक्षक मौजूद थे।


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